बीत चुके घटनाक्रम के धरातल पर, आज कि तैयारी करना। दर्जी को पुरानी नाप देकर आज के कपडे सिलवाने जैसा है।
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कतरनें
इक नजर
Oct 23, 2010
करना तो पडेगा, मात्र ये नही सही है, वो नही सही है कहने से तो चीजें सही होने से रही।
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