डी-मैट के फायदे
- शेयरों की खरीद बिक्री के लिए लगने वाला ब्रोकरज (दलाली) चार्ज घट जाता है।
- खरीद-फरोख्त आसान व जल्दी होती है।
- इससे तरलता बढ़ती है
- इस खाते से हस्ताक्षर में होने वाली गड़बड़ी से भी बचा जा सकता है।
- शेयर सर्टिफिकेट के देरी से पहुंचने या खोने के डर नहीं रहता है।
- साथ ही आप इस खाते से धोखेबाजी, जालसाजी, शेयर के आग लगने, फटने, चोरी होने आदि के जोखिम से बचा जा सकता है।
- डारेक्ट शेयर में जहां 0.5 फीसदी स्टांप डयूटि लगती है वहीं यह खाता रखने वाले निवेशक को यह फीस देना नहीं पड़ती है।
- शेयरों का विभाजन होने पर उनका आवंटन और शेयरों पर मिलने वाला बोनस भी तुरंत प्राप्त होता है।
- शेयरधारक के पता बदलने पर केवल अपने डीपी को सूचित करना पड़ता है जिससे हर कंपनी (जिसके शेयर ले रखे हैं) को सूचना नहीं देनी पड़ती।कौन खोलता है डी-मैट डी-मैट खाता खुलवाने का हक सिर्फ डिपोज्रिटीज को होता है।

- नेशनल सेक्योरिटीज डिपोज्रिटी लिमिटेड (एनएसडीएल) एवं
- सेंट्रल डिपोज्रिटी सर्विसेज लिमिलटेड (सीएसडीएल)।
यह जानना जरूरी है कि जो व्यक्ति खुद शेयर खरीदते बेचते नहीं हैं उनके ब्रोकर प्रतिनिधि के रूप में खाते का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कैसे खुलेगा खाता
डी-मैट खाता खुलवाने के लिए निवेशक के पास
- पैन कार्ड और उसका 18 वर्ष का होना जरूरी है।
- बैंक खाता भी होना जरूरी है।

कितनी फीस ?
डी-मैट खाता खुलवाने वाले व्यक्ति से डीपी कई तरह के फीस वसूलता है। यह फीस कंपनी दर कंपनी अलग हो सकती है।
- अकाउंट ओपनिंग फीस – खात खुलवाने के लिए वसूला जाने वाला फीस। कुछ कंपनियां (जैसे आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, यूटीआई आदि) यह फीस नहीं लेती है। जबकि कुछ (एसबीआई और कार्वी कंसलटेंट्स आदि) इसे वसूलती हैं। वैसे कुछ कंपनियां इसे रिफंडेबल (खाता बंद कराने पर लौटा देती हैं) भी रखती हैं।
- एनुअल मेंटेनेंस फीस – सालाना फीस जिसे फोलियो मेंटेनेंस चार्ज भी कहते हैं। आमतौर पर कंपनी यह फीस साल के शुरुआत में ही ले लेती है।
- कसटोडियन फीस – कंपनी इसे हर महीने ले सकती है या फिर एक मुश्त। यह फीस आपके शेयरों की संख्या पर निर्भर करता है।
- ट्रांजेक्शन फीस – डीपी चाहे तो इसे हर ट्रांजेक्शन पर चार्ज कर सकती है या फिर चाहे तो ट्रेडिंग की राशि पर (न्यूनतम फीस तय कर)।
- री-मैट,
- डी-मैट,
- प्लेज चार्जेज,
- फील्ड इंस्ट्रक्शन चार्जेज आदि भी वसूल सकती हैं।
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