Nov 4, 2010

डीमैट खाता क्या है?

 डी-मैट अकाउंट का मतलब डी-मेटेरियलाइज्ड अकाउंट से है जिसमें आपके शेयर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रहते हैं। जिस तरह कोई व्यक्ति पैसे का लेन देन करने के लिए किसी बैंक में खाता खुलवाता है उसी तरह शेयरों की खरीद बिक्री के लिए डी-मैट खाता खुलवाया जाता है। शेयरों की खरीद फरोख्त के लिए डी-मैट खाता जरुरी है क्योकि डी-मैट के ट्रेडिंग खाते में ही शेयरों की खरीद फरोख्त होती है। खाता होल्डर चाहें तो खुद या उसके बिहॉफ पर कोई शेयर ब्रोकिंग कंपनी शेयरों का कारोबार कर सकती है। डी-मैट खाता खुलवाने पर ट्रेडिंग खाता खुद ब खुद खुल जाता है। 

डी-मैट के फायदे 
  • शेयरों की खरीद बिक्री के लिए लगने वाला ब्रोकरज (दलाली) चार्ज घट जाता है। 
  • खरीद-फरोख्त आसान व जल्दी होती है। 
  • इससे तरलता बढ़ती है
  • इस खाते से हस्ताक्षर में होने वाली गड़बड़ी से भी बचा जा सकता है। 
  • शेयर सर्टिफिकेट के देरी से पहुंचने या खोने के डर नहीं रहता है।
  • साथ ही आप इस खाते से धोखेबाजी, जालसाजी, शेयर के आग लगने, फटने, चोरी होने आदि के जोखिम से बचा जा सकता है। 
  • डारेक्ट शेयर में जहां 0.5 फीसदी स्टांप डयूटि लगती है वहीं यह खाता रखने वाले निवेशक को यह फीस देना नहीं पड़ती है। 
  • शेयरों का विभाजन होने पर उनका आवंटन और शेयरों पर मिलने वाला बोनस भी तुरंत प्राप्त होता है।
  •  शेयरधारक के पता बदलने पर  केवल अपने डीपी को सूचित करना पड़ता है जिससे हर कंपनी (जिसके शेयर ले रखे हैं) को सूचना नहीं देनी पड़ती।कौन खोलता है डी-मैट डी-मैट खाता खुलवाने का हक सिर्फ डिपोज्रिटीज को होता है। 

भारत में मात्र दो डिपोज्रिटी हैं 
  1. नेशनल सेक्योरिटीज डिपोज्रिटी लिमिटेड (एनएसडीएल) एवं 
  2. सेंट्रल डिपोज्रिटी सर्विसेज लिमिलटेड (सीएसडीएल)। 
इन डिपोज्रिटीज के करीब 500 से ज्यादा एजेंट हैं जिन्हें डिपोज्रिटी पार्टिसिपेंट्स (डीपी) कहा जाता है। यह जरूरी नहीं है कि डीपी कोई बैंक ही हो। दूसरी वित्तीय संस्थाएं (जैसे शेयर खान, रिलायंस मनी, इंडिया इनफोलाईन आदि) के पास भी डी-मैट अकाउंट खोला जा सकता है।
यह जानना जरूरी है कि जो व्यक्ति खुद शेयर खरीदते बेचते नहीं हैं उनके ब्रोकर प्रतिनिधि के रूप में खाते का इस्तेमाल कर सकते हैं।

कैसे खुलेगा खाता
डी-मैट खाता खुलवाने के लिए निवेशक के पास 
  1. पैन कार्ड और उसका 18 वर्ष का होना जरूरी है। 
  2. बैंक खाता भी होना जरूरी है। 
डीपी से प्राप्त फॉर्म भरने के साथ खाता खुलवाने वाले को पहचान पत्र व पता का दस्तावेज (वोटर आईडी, पासपोर्ट, राशन कार्ड, ड्राईविंग लाईसेंस, आयकर रिटर्न, बिजली बिल, टेलिफोन बिल आदि) और फोटोग्राफ जमा करना होता है। इन दस्तावेजों को देने के बाद डीपी आपका खाता खोल देता है।

नए खाताधारक को एक बेनिफिशयरी ओनर नंबर (बीओआडी) मिलता है जिसका इस्तेमाल कर शेयरों की खरीद बिक्री की जाती है। दूसर खातों की तरह इस खाते में भी नॉमिनी रखा जाता है। 




कितनी फीस ?
डी-मैट खाता खुलवाने वाले व्यक्ति से डीपी कई तरह के फीस वसूलता है। यह फीस कंपनी दर कंपनी अलग हो सकती है। 
  1. अकाउंट ओपनिंग फीस – खात खुलवाने के लिए वसूला जाने वाला फीस। कुछ कंपनियां (जैसे आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, यूटीआई आदि) यह फीस नहीं लेती है। जबकि कुछ (एसबीआई और कार्वी कंसलटेंट्स आदि) इसे वसूलती हैं। वैसे कुछ कंपनियां इसे रिफंडेबल (खाता बंद कराने पर लौटा देती हैं) भी रखती हैं।
  2. एनुअल मेंटेनेंस फीस – सालाना फीस जिसे फोलियो मेंटेनेंस चार्ज भी कहते हैं। आमतौर पर कंपनी यह फीस साल के शुरुआत में ही ले लेती है।
  3. कसटोडियन फीस – कंपनी इसे हर महीने ले सकती है या फिर एक मुश्त। यह फीस आपके शेयरों की संख्या पर निर्भर करता है।
  4. ट्रांजेक्शन फीस – डीपी चाहे तो इसे हर ट्रांजेक्शन पर चार्ज कर सकती है या फिर चाहे तो ट्रेडिंग की राशि पर (न्यूनतम फीस तय कर)।
इनके अलावा कंपनी 
  • री-मैट, 
  • डी-मैट, 
  • प्लेज चार्जेज, 
  • फील्ड इंस्ट्रक्शन चार्जेज आदि भी वसूल सकती हैं।

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