बीत चुके घटनाक्रम के धरातल पर, आज कि तैयारी करना। दर्जी को पुरानी नाप देकर आज के कपडे सिलवाने जैसा है।
Pages
Home
ASK FundGuru
कतरनें
इक नजर
Nov 7, 2010
जिन मामूली से मामूली चीजो की बढती कीमतो को मंहगाई कहा जा रहा हैं, वो 5-5 हजार के जूते खरिदने के कारण आया समाजवाद है। बडा असंतुलित लगता था 30 हजार का मोबाईल रखने वाला 20 रु० कि दाल खाते हुये, अब शान से 80 रु० कि दाल खरिदिये!!
1 comment:
Rishi
November 8, 2010 at 6:34 PM
it's true.
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
it's true.
ReplyDelete