Aug 6, 2024

खुद की लुगाई से दूरी कैसी?

तुम समझो ना समझो पर हम तो कह के रहेंगे,
की अपना बना लो हम तुम्हारे ही रहेंगे
अजी इश्क कर लो छुट जाएगी जवानी
तब बुढ़ापे में क्या ब्याह करेंगे?

रत्ती भर भर भी समझो लोगे ना तो लाइफ कसम से बन जानी है अब भी समय है. ये जो शेयर मार्केट है ना! रहस्य का पिटारा नहीं है सिंपल बजिनेस गणित है 

हम इस विधा को सहज बोलचाल भाषा में प्रस्तुत कर हम हिन्दी भाषियो को हमारी जड़ से जोड़ने का भागीरथी प्रयास किया है.

बात यू है की ज्यादा इतिहास, ग्रंथों आदि को साक्ष्य नहीं बल्कि मौजूदा ग्लोबल शेयर मार्केट के इतिहास पर नजर डालो तो इस जटिल वित्तीय दुनिया, जिसमें व्यस्त स्टॉक बाजार और जटिल व्यापार तंत्र शामिल हैं, की एक दिलचस्प इतिहास है जो सदियों पहले से चला आ रहा है।

विश्व प्रथम स्टॉक एक्सचेंज कौन?
इस वित्तीय विकास के केंद्र में प्रथम मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज, एम्स्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज है। 1602 में स्थापित, इस ऐतिहासिक संस्था ने आधुनिक स्टॉक बाजारों के लिए रास्ता बनाया, जिसने हमारे निवेश, व्यापार और वित्तीय दुनिया को समझने के तरीकों को आकार दिया। एम्स्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज की नींव डच स्वर्ण युग के दौरान रखी गई थी, जब डच गणराज्य एक प्रमुख व्यापारिक शक्ति के रूप में फल-फूल रहा था। इस उत्साही माहौल में, डच ईस्ट इंडिया कंपनी, जिसे वीओसी के नाम से भी जाना जाता है, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरी।

रापचिक बवाल काट डाला डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने डच स्वर्ण युग के दौरान, जब डच गणराज्य व्यापार में धूम मचा रहा था, एम्स्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत हुई। इस जोशीले दौर में, डच ईस्ट इंडिया कंपनी, जिसे वीओसी के नाम से भी जाना जाता था, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक बड़ी ताकत बन गई। अपने बड़े-बड़े व्यापारिक कामों के लिए पैसे जुटाने के लिए, वीओसी ने एक नई तरकीब निकाली - शेयर बेचने की।

किया यूँ की लोगों को समझाया की, अगर तुमने 1000 रुपये लगाकर 10% हिस्सा खरीदा, तो जब कंपनी जब मुनाफा कमाएगी, तुम्हें भी 10% मिलेगा। अगर कंपनी बढ़ती है तो उसकी भी कीमत बढ़ती है, तुम चाहो तो तब अपने 1000 रूपए को 3000 रुपये की बढ़त पर देख सकते हो और या अपना हिस्सा बेचकर मुनाफा कमा सकते हो। हम तो विदेश से समान ला रहे जिसे अछे मुनाफ़े मे बेच ही रहे है तुम हिस्सेदार बनकर अपना पैसा बढ़ा सकते हो और हम अपना बजिनेस.

शेयर मार्केट में भी यही होता है, जहाँ कंपनियाँ अपने व्यापार में पैसे लगाने के लिए लोगों को शेयर बेचती हैं। तो 1602 में, कंपनी ने आम जनता को अपने लाभदायक व्यापार में निवेश करने का मौका दिया, जिससे लोग कंपनी में हिस्सेदारी खरीद और बेच सकते थे। ये पारंपरिक तरीके से अलग था और इससे निवेशक भी मुनाफा कमा सकते थे।

इस सब का इंडिया से कनेक्शन ?
अरे कंपनी डील तो इंडिया से ही करती थी और आईडिया यहां के राजा और महाजनो या सेठों के सम्बन्ध को जानकर आया. डच ईस्ट इंडिया कंपनी (वीओसी) ने भारत में मसालों के व्यापार में बड़ी भूमिका निभाई। इससे कंपनी को फायदा हुआ और एम्स्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज का भी विकास हुआ। वीओसी ने जनता को शेयर जारी किए, जिनमें भारतीय निवेशकों ने भी हिस्सा लिया। मसालों के व्यापार के अच्छे मौके और कंपनी का दबदबा देखकर भारतीय निवेशक भी शेयर खरीदने लगे और एम्स्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज पर व्यापार करने लगे।

तो पहली कंपनी जिसने पब्लिक को शेयर बेचे?
डच ईस्ट इंडिया कंपनी थी। 1602 में, इस कंपनी ने पहली बार लोगों को अपने व्यापार के शेयर बेचने शुरू किए। यही वो समय था जब शेयर बाजार की शुरुआत हुई!

 इस प्रकार, भारत के लिए स्टॉक एक्सचेंज केवल एक आधुनिक अवधारणा नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें एक पुरानी और समृद्ध व्यापारिक परंपरा में गहराई से जुड़ी हुई हैं, वहीं अर्थ काम भारत के इस अग्रणी वित्तीय ज्ञान और निवेश को सहज भाषा में पेश करने वाले पोर्टल के रूप में हैं।

  टीम फंड गुरु

No comments:

Post a Comment