जब भी शेयर बाजार गिरा, लघ्घीमार बडे ताव में आ जाते हैं। हर खबर ऐसे तोडते-मरोडते हैं जैसे खत्म हुआ टूथ-पेस्ट ट्यूब। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम इस दृष्टिकोण को मान लेते है जबकि इनके हर बयान बाद में एक मजाक की तरह ही साबित होते हैं, ये जान लें। दरसल शेयर बाजार बढी भीड कि हर उमस को इस तरह का वेन्टलेशन देता है, जो सामान्य और जरूरी हैं। जाने कब हम इस सच्चाई में खुद को कब ढालेंगें?
कृषि उत्पादन बढ़ने से उत्साहित सरकार ने आज अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.6% वृद्धि आंकी है। जो पिछले साल देश की 8% से 0.06% बेहतर है, जिसमें कृषि क्षेत्र कि वृद्धि 5.4 % रहने की संभावना है, जबकि पिछले साल यह मात्र 0.4% थी। निर्माण गतिविधि के लिये 8% वृद्धि की संभावना है जो पिछले साल 7% थी। वहीं आउटसोर्सिंग में हमारा दबदबा बरकार है जिससे सेवा क्षेत्र में 11% बढत कि संभावना है जो 9.7% थी पिछले साल। वहीं देसी-विदेशी संस्थाओं कि तरफ से खरिददारी बढ रही है। क्या कहें उनको जो चंद रोज के ईजप्ट संघर्ष से एनालिस्टओं कि फर्टलाइज़र सेक्टर कि गिरने कि बात को सच्च मान बैढ रहे हैं, पर ये भोंपू तब बज रहा है जब सरकार इस सेक्टर को नियंत्रण मुक्त करने पर विचार कर रही है।
मांग बढने से सफेद सोने ’कपास’ भी बढत पर हैं और 21 फरवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र में सुधारों कि धार देखने को मिल सकती है, जिसमें व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को 1. 60 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाना शामिल है। उधर कुल 91,240 करोड के तो सरकारी FPO है, जिसमें NTPC और SAIL दोनो ही जल्द आने वाले हैं, जिसके लिये तैयारीयां शुरू हो चुकी हैं।
अरे गोली मारे लघ्घीमारों को, किसी भी गिरावट को ’आपदा है आपदा’ का मंत्र दोहराने लगते हैं। याद है वो 2008 की जबरदस्त गिरावट जिसे वित्तीय दुनिया के अंत की तरह देखा जा रहा था वो बेहद कम अवधि के दौरान ही चोखे रिटर्न के रूप में समाप्त हुई थी. निवेशकों को याद रखना चाहिए कि स्टॉक की कीमतें, ये गिरावट वास्तव में अच्छी खबर है। आओ अस्थिरता का स्वागत करें, शेयरों में या इक्विटी फंड में सिप के माध्यम से निवेश करके।
टीम फंड गुरू,टीम 72 द फ़ंड हाउस के साथ
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