बीत चुके घटनाक्रम के धरातल पर, आज कि तैयारी करना। दर्जी को पुरानी नाप देकर आज के कपडे सिलवाने जैसा है।
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कतरनें
इक नजर
Nov 6, 2010
शुरू में वह कीजिए जो आवश्यक है, फिर वह जो संभव है और अचानक आप पाएंगे कि अरे! आप तो वह कर रहे हैं जो असंभव की श्रेणी में आता है।
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